मेरी प्यारी संध्या

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meenu yatin

16 Aug 20241 min read

Published in poetry

मेरी प्यारी संध्या

सुबह लिखूँ या शाम लिखूँ
एक गीत तुम्हारे नाम लिखूँ।
आँखें बिलौरी रंगत में लाली
धूप लिखूँ या छाँव लिखूँ।
थोड़ा गुस्सा, थोड़ी नरमी
थोड़ी तीखी, थोड़ी मीठी
संध्या कहूँ या साँझ लिखूँ।
यारी निभानी हो के
जिम्मेदारी निभानी हो
एक प्यारा दोस्त कहूँ या के
एक औरत जिम्मेदार लिखूँ।
उसको भी खबर है इसकी
और सबको मालूम है
जैसे को तैसा कहने वाली
दिल की सच्ची, मासूम है
हमेशा हँसते रहने वाली
बोल तेरा क्या नाम लिखूँ।

 

मीनू यतिन

 

Photo by Anna Tarazevich: https://www.pexels.com/photo/woman-in-a-traditional-saree-dress-sitting-by-a-body-of-water-8229320/

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मेरी प्यारी संध्या

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मेरी प्यारी संध्या

सुबह लिखूँ या शाम लिखूँ
एक गीत तुम्हारे नाम लिखूँ।
आँखें बिलौरी रंगत में लाली
धूप लिखूँ या छाँव लिखूँ।
थोड़ा गुस्सा, थोड़ी नरमी
थोड़ी तीखी, थोड़ी मीठी
संध्या कहूँ या साँझ लिखूँ।
यारी निभानी हो के
जिम्मेदारी निभानी हो
एक प्यारा दोस्त कहूँ या के
एक औरत जिम्मेदार लिखूँ।
उसको भी खबर है इसकी
और सबको मालूम है
जैसे को तैसा कहने वाली
दिल की सच्ची, मासूम है
हमेशा हँसते रहने वाली
बोल तेरा क्या नाम लिखूँ।

 

मीनू यतिन

 

Photo by Anna Tarazevich: https://www.pexels.com/photo/woman-in-a-traditional-saree-dress-sitting-by-a-body-of-water-8229320/

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