माँ

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namrata gupta

16 Aug 20242 min read

Published in poetry

माँ

“माँ” पर क्या लिखू?… माँ ने तो हमे लिखा है… मातृ दिवस मनाने का कोई खास दिन नहीं होता है , हर वो दिवस मातृ दिवस है जिसमे माँ का साथ हो, जिस दिन हमारे कारण माँ के चेहरे पे मुस्कान हो वही दिन सही मायने में मातृ दिवस है

भगवान का दूसरा रूप माँ है| ममता की गहरी झील है माँ… वो घर किसी मंदिर से कम नहीं होता, जिस घर में माँ को भगवान की तरह पूजा जाता है|

हर एक के जीवन में माँ एक अनमोल इंसान के रूप में होती है, जिसके बारे में शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता, ऐसा कहा जाता है की भगवान हर किसी के साथ नहीं रह सकते इसलिए उन्होंने माँ को बनाया|

माँ का ह्रदय प्रेम का सागर है, त्याग का महासागर है और ममत्व का ब्रह्माण्ड है| ये वो रिश्ता है जो जन्म के पहले से शुरू होकर जीवन भर हमारे साथ रहता है| माँ का स्पर्श ही वो जादू है जो हमारे गम को दूर करने का सामर्थ्य रखता है…

बस अंत में माँ के बारे दो पंक्तिया लिख कर अपनी कलम को विराम देना चाहती हूँ-

“मौत के लिए बहुत रास्ते है पर,

जन्म लेने के लिए केवल “माँ” है”

 

नम्रता गुप्ता

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namrata gupta

16 Aug 20242 min read

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माँ

“माँ” पर क्या लिखू?… माँ ने तो हमे लिखा है… मातृ दिवस मनाने का कोई खास दिन नहीं होता है , हर वो दिवस मातृ दिवस है जिसमे माँ का साथ हो, जिस दिन हमारे कारण माँ के चेहरे पे मुस्कान हो वही दिन सही मायने में मातृ दिवस है

भगवान का दूसरा रूप माँ है| ममता की गहरी झील है माँ… वो घर किसी मंदिर से कम नहीं होता, जिस घर में माँ को भगवान की तरह पूजा जाता है|

हर एक के जीवन में माँ एक अनमोल इंसान के रूप में होती है, जिसके बारे में शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता, ऐसा कहा जाता है की भगवान हर किसी के साथ नहीं रह सकते इसलिए उन्होंने माँ को बनाया|

माँ का ह्रदय प्रेम का सागर है, त्याग का महासागर है और ममत्व का ब्रह्माण्ड है| ये वो रिश्ता है जो जन्म के पहले से शुरू होकर जीवन भर हमारे साथ रहता है| माँ का स्पर्श ही वो जादू है जो हमारे गम को दूर करने का सामर्थ्य रखता है…

बस अंत में माँ के बारे दो पंक्तिया लिख कर अपनी कलम को विराम देना चाहती हूँ-

“मौत के लिए बहुत रास्ते है पर,

जन्म लेने के लिए केवल “माँ” है”

 

नम्रता गुप्ता

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