
आज़ादी दिवस
#INDEPENDENCEDAY2022
आज़ादी दिवस
याद करो वो आज़ादी की लड़ाई,
मासूमों के खून से सींचा था,
तब जाके मिली थी आज़ादी,
लाशों का बागीचा था।
आज खड़े पचहत्तर वर्ष पर,
सोचो कितना कुछ पाया है,
सफलता का इतिहास रचा है,
सब धर्मों का आशीष सरमाया है।
जवानों के लहू ने सींचा है इसको,
किसानों के पसीने से रंगत आई है,
शिक्षकों ने सिंचित किया छात्रों को,
नव नूतन विज्ञान ने मोहर लगाई है।
चिकित्सा के नए आयाम मिले हैं,
जो दुनिया में आगे ले जाते हैं,
योग और आयुर्वेद फिर एक बार,
हमें जड़ो से जोड़कर आते है।
नई सोच, नए विश्वास,
देश का आधार है,
अब तो खेलों में भी,
मेडलों की भरमार है।
ये देश मेरा गर्व है,
जहाँ हर धर्म भाई भाई है,
कभी दीवाली के दिए जलते हैं,
कभी ईद की मिठाई है।
याद रखो आज़ादी,
मुश्किल है कायम रखना,
जो भी हो साथ मिल चलो,
निरंतर एकता का उद्यम रखना।
आज इस पचहत्तर वर्ष मे भी,
देश ये तरुण अबोध है,
लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्षता ही,
केवल प्रगति का सुबोध है।
स्वरचित एवं मौलिक
©अपर्णा
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