होली का त्यौहार

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prarthana singh

28 Jul 20241 min read

Published in poetry

होली का त्यौहार

होली का त्यौहार आया,
अपने संग रंगों की बौछार लाया।
दानवता का अंत हुआ था जिस दिन,
उस दिन को हमने त्यौहार बनाया।

होलिका को जलाया था उसने उस दिन और
इस संसार को अपना अहंकार जलाना सिखाया।
मौज-मस्ती करना ना भुला,
पर असली सीख तोह इंसान पीछे छोड़ आया।

गुलाल और मिठाइयों के संग बाटो खुशियां
और अंत करो अपने अंदर के दानव का, क्यूँकि,
जब मिटेगा इंसान का अहंकार,
तब मनेगा असली होली का त्यौहार।

 

प्रार्थना सिंह और आदित्य सिंह

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prarthana singh

28 Jul 20241 min read

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होली का त्यौहार

होली का त्यौहार आया,
अपने संग रंगों की बौछार लाया।
दानवता का अंत हुआ था जिस दिन,
उस दिन को हमने त्यौहार बनाया।

होलिका को जलाया था उसने उस दिन और
इस संसार को अपना अहंकार जलाना सिखाया।
मौज-मस्ती करना ना भुला,
पर असली सीख तोह इंसान पीछे छोड़ आया।

गुलाल और मिठाइयों के संग बाटो खुशियां
और अंत करो अपने अंदर के दानव का, क्यूँकि,
जब मिटेगा इंसान का अहंकार,
तब मनेगा असली होली का त्यौहार।

 

प्रार्थना सिंह और आदित्य सिंह

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