बलिदान

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arati samant

29 Jul 20243 min read

Published in poetry

बलिदान

आज जब आजादी का अमृत महोत्सव तुम मनाओगे,
घर घर मे तिरंगा अपना उंचा शान से फहराओगे ।
भारत माता की जय और वंदे मातरम का नारा जब पूरे जोश से लगाओगे ।
वादा करो मुझे उस पल तुम भूल नही जाओगे ,
हाथ मे अपना झंडा लिये जब बोलोगे भारत मेरा महान। पल भर याद कर लेना हम देश के सिपाहियों को और याद करना हमारा बलिदान ।

इस आजादी के उत्सव को तो हमने बचपन से ही दिल मे बसाया था ,
स्वातंत्र्य वीरों की गाथा किताबों में पढकर, हमने सर गर्व से उठाया था।
जब तुम लोगो ने डॉक्टर इंजिनियर बनने का ख़्वाब मन में सजाया था,
उस पल मैंने सेना एकेडमी में देश की सेवा करने का बीड़ा  उठाया था।
ठान लिया था सेना में शामिल हो बढाऊंगा तिरंगे की शान,
आजादी के इस अमृत महोत्सव मे याद कर लेना हमारा बलिदान ।

जब तुम कॉलेज के दिनो को बडे मजे से जी रहे थे,
तब हम प्रशिक्षण के मैदान को अपने पसीने से सींच रहे थे।
जब तुम अपने एसी ऑफिसों में बैठकर निडर हो काम कर रहे थे।
तब हम बर्फीले पहाडों और तपते रेगिस्तानों में देश की रक्षा करने सीमा पर खड़े थे।
ये माना  तुमने भी देश की सेवा ही की है, परंतु किसी तपस्या से कम नहीं हमारा योगदान।
आनेवाली पीढ़ियों को कभी मत भूलने देना हमारा बलिदान ।

ये माना कोई और नौकरी छोड़, देश सेवा का निर्णय हमारा था ।
क्योंकि बचपन से ही भारतमाँ की सेवा करना हमको जान से प्यारा था ।
देश की गरिमा को रखा है सदैव सर्वोपरि हमने,
कभी नही भारत माँ की छवि धूमिल होने दी हमने ।
हर पल जान हथेली मे लिये घूमना नही है इतना आसान, देश की सुरक्षा के लिये हमारे सौ जनम भी हम कुर्बान।

जब एक शाम तुम देर से आओ तो तुम्हारी बीबी बच्चे रुठ जाते है।
यहाँ महीनों हमारा मुँह देखे बिना हमारे परिवारों के दिल टूट जाते है ।
बडा मुश्किल होता है बच्चो को समझाना कि हम वापस  कब आयेंगे ?
कब माँ बाप की सेवा करेंगे कब बीवी बच्चों के साथ दो पल बतायेंगे ।
होली के रंगों और दिवाली के पटाखो के शोर मे कर लेना एक बार हमारा भी ध्यान,
देश की सुरक्षा में रहते चौकन्ने हम और तत्पर सदा होने को कुर्बान।

सीमा पर कोई संकट आन पड़ा हो,या कोई आंतरिक विपदा देश में हो आई ,
भारतीय सेना ने सदैव ही मुसीबतों का मुकाबला कर उनपर विजय है पाई।
चाहे अकाल, बाढ़, भूकंप हो या हमला पडोसी मुल्क का, देश वासियों की प्राणों की रक्षा कर, दुश्मन को हमने सदा धूल है चटाई ।
हर साँस लिख दी है भारत माँ के नाम, न कभी कम होने दी भारत की शान।
जब फहराओगे प्यारा तिरंगा इस बार,
जरा याद कर लेना वीर शहीदों का बलिदान।

 

आरती सामंत

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आज जब आजादी का अमृत महोत्सव तुम मनाओगे,
घर घर मे तिरंगा अपना उंचा शान से फहराओगे ।
भारत माता की जय और वंदे मातरम का नारा जब पूरे जोश से लगाओगे ।
वादा करो मुझे उस पल तुम भूल नही जाओगे ,
हाथ मे अपना झंडा लिये जब बोलोगे भारत मेरा महान। पल भर याद कर लेना हम देश के सिपाहियों को और याद करना हमारा बलिदान ।

इस आजादी के उत्सव को तो हमने बचपन से ही दिल मे बसाया था ,
स्वातंत्र्य वीरों की गाथा किताबों में पढकर, हमने सर गर्व से उठाया था।
जब तुम लोगो ने डॉक्टर इंजिनियर बनने का ख़्वाब मन में सजाया था,
उस पल मैंने सेना एकेडमी में देश की सेवा करने का बीड़ा  उठाया था।
ठान लिया था सेना में शामिल हो बढाऊंगा तिरंगे की शान,
आजादी के इस अमृत महोत्सव मे याद कर लेना हमारा बलिदान ।

जब तुम कॉलेज के दिनो को बडे मजे से जी रहे थे,
तब हम प्रशिक्षण के मैदान को अपने पसीने से सींच रहे थे।
जब तुम अपने एसी ऑफिसों में बैठकर निडर हो काम कर रहे थे।
तब हम बर्फीले पहाडों और तपते रेगिस्तानों में देश की रक्षा करने सीमा पर खड़े थे।
ये माना  तुमने भी देश की सेवा ही की है, परंतु किसी तपस्या से कम नहीं हमारा योगदान।
आनेवाली पीढ़ियों को कभी मत भूलने देना हमारा बलिदान ।

ये माना कोई और नौकरी छोड़, देश सेवा का निर्णय हमारा था ।
क्योंकि बचपन से ही भारतमाँ की सेवा करना हमको जान से प्यारा था ।
देश की गरिमा को रखा है सदैव सर्वोपरि हमने,
कभी नही भारत माँ की छवि धूमिल होने दी हमने ।
हर पल जान हथेली मे लिये घूमना नही है इतना आसान, देश की सुरक्षा के लिये हमारे सौ जनम भी हम कुर्बान।

जब एक शाम तुम देर से आओ तो तुम्हारी बीबी बच्चे रुठ जाते है।
यहाँ महीनों हमारा मुँह देखे बिना हमारे परिवारों के दिल टूट जाते है ।
बडा मुश्किल होता है बच्चो को समझाना कि हम वापस  कब आयेंगे ?
कब माँ बाप की सेवा करेंगे कब बीवी बच्चों के साथ दो पल बतायेंगे ।
होली के रंगों और दिवाली के पटाखो के शोर मे कर लेना एक बार हमारा भी ध्यान,
देश की सुरक्षा में रहते चौकन्ने हम और तत्पर सदा होने को कुर्बान।

सीमा पर कोई संकट आन पड़ा हो,या कोई आंतरिक विपदा देश में हो आई ,
भारतीय सेना ने सदैव ही मुसीबतों का मुकाबला कर उनपर विजय है पाई।
चाहे अकाल, बाढ़, भूकंप हो या हमला पडोसी मुल्क का, देश वासियों की प्राणों की रक्षा कर, दुश्मन को हमने सदा धूल है चटाई ।
हर साँस लिख दी है भारत माँ के नाम, न कभी कम होने दी भारत की शान।
जब फहराओगे प्यारा तिरंगा इस बार,
जरा याद कर लेना वीर शहीदों का बलिदान।

 

आरती सामंत

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