याद

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meenu yatin

17 Aug 20241 min read

Published in poetry

याद

कुछ तो बदल ही जाता है
कोई भी पहले सा नहीं लगता
जिससे भी मिलो
अधूरा सा लगता है
कोई भी शख्स
पूरा नहीं लगता

घर की दीवारों पर
कुछ तसवीरें
बनी है
कुछ पूरी सी,
कुछ में रंगों की कमी है
मैं चाह कर भी
मिटा नहीं सकती उसे
उसमें मेहनत तेरी बसी है

हर कोने में तेरी
याद घूमती है
तुम आओगे लौट कर
तो ठहाके गूंज उठेगें
तुम क्या गये कि
घर घर नहीं लगता ।

 

मीनू यतिन

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कुछ तो बदल ही जाता है
कोई भी पहले सा नहीं लगता
जिससे भी मिलो
अधूरा सा लगता है
कोई भी शख्स
पूरा नहीं लगता

घर की दीवारों पर
कुछ तसवीरें
बनी है
कुछ पूरी सी,
कुछ में रंगों की कमी है
मैं चाह कर भी
मिटा नहीं सकती उसे
उसमें मेहनत तेरी बसी है

हर कोने में तेरी
याद घूमती है
तुम आओगे लौट कर
तो ठहाके गूंज उठेगें
तुम क्या गये कि
घर घर नहीं लगता ।

 

मीनू यतिन

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