
एक शाम साथ अपने

एक शाम साथ अपने
अदरक वाली चाय,
तनहाई और
हवा के ठंडे झोंके
बज रही हो
गजल रुहानी कोई।
कुछ पल गुजारूँ संग अपने
कागज पे उतारूँ
दिलचस्प कहानी कोई।
या भरूँ रंग कैनवस पर
खूबसूरत जिंदगी के
रंग दूँ वापस
तस्वीर पुरानी कोई ।
कोई ख्याल इत्तेफाकन
आ बैठे रूबरू
यूँ गुजर जाये
शाम सुहानी कोई।
मीनू यतिन
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