
जिंदगी तू बहुत हसीन है
जिंदगी तू बहुत हसीन है
ऐ जिंदगी तू बहुत हसीन है,
मगर हम भी क्या हसीन कम हैं ।
आंखों में नूर और लबों पर हंसी है,
दिल में जो सच्चाई वही जुबान पर आई है,
दुनिया से बचाई हमने अपनी अच्छाई है।
चल बैठे किसी शाम ग़ालिब के साथ यारा,
ना जाने क्यों आज ये तमन्ना ज़ेहन में आई है।
कुछ ऐसी चलें गूफ्तगू की मन कि सिहाई को उसमें भीगा लूं,
कि जिंदगी और भी हसीन बन जाएं उस पल मे समां लूं,
कि मैं भी ग़ालिब की तरह सबके दिलों में जिंदा रह लूं।
ऐ जिंदगी तू बहुत हसीन है,
मगर हम भी क्या हसीन कम हैं ।
रचयिता, स्वेता गुप्ता
Photo by Andre Furtado: https://www.pexels.com/photo/woman-surrounded-by-sunflowers-1263986/
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