और कुछ नहीं बस इश्क़ है

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aparna ghosh

30 Jul 20241 min read

Published in poetry

#ETERNALLOVE

 

और कुछ नहीं बस इश्क़ है

 

हर सुबह का सूरज इश्क़ है,

हर रात की हवा इश्क़ है,

वो ना पूछे फूलों का खिलना,

और कुछ नहीं बस इश्क़ है ।।

 

रोज़ सवेरे जो आँखें खुलीं,

रोग भोग से मुक्ति मिली,

हँस हँस आखों से अश्रु झड़े,

और कुछ नहीं बस इश्क़ ही है ।।

 

बिना स्वार्थ जो प्रेम बहे,

बिना मतलब जो साथ चले,

जो बिना पहचाने गले मिले 

और कुछ नहीं बस इश्क़ ही है ।।

 

फ़रिश्ते हम इंसान ही है,

जब दिल की गठरी खोलते हैं,

लोगों से मीठा बोलते हैं,

और कुछ नहीं बस इश्क़ ही है।।

 

ईश्वर का फ़रिश्ता प्रकृति है,

जो दिल खोल नेमत बाँटता है,

सिर्फ देना धर्म जानता है ,

और कुछ नहीं बस इश्क़ ही है ।।

 

 

 

स्वरचित एवं मौलिक 

©अपर्णा 

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और कुछ नहीं बस इश्क़ है

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aparna ghosh

30 Jul 20241 min read

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#ETERNALLOVE

 

और कुछ नहीं बस इश्क़ है

 

हर सुबह का सूरज इश्क़ है,

हर रात की हवा इश्क़ है,

वो ना पूछे फूलों का खिलना,

और कुछ नहीं बस इश्क़ है ।।

 

रोज़ सवेरे जो आँखें खुलीं,

रोग भोग से मुक्ति मिली,

हँस हँस आखों से अश्रु झड़े,

और कुछ नहीं बस इश्क़ ही है ।।

 

बिना स्वार्थ जो प्रेम बहे,

बिना मतलब जो साथ चले,

जो बिना पहचाने गले मिले 

और कुछ नहीं बस इश्क़ ही है ।।

 

फ़रिश्ते हम इंसान ही है,

जब दिल की गठरी खोलते हैं,

लोगों से मीठा बोलते हैं,

और कुछ नहीं बस इश्क़ ही है।।

 

ईश्वर का फ़रिश्ता प्रकृति है,

जो दिल खोल नेमत बाँटता है,

सिर्फ देना धर्म जानता है ,

और कुछ नहीं बस इश्क़ ही है ।।

 

 

 

स्वरचित एवं मौलिक 

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