
रंग
रंग
क्या खुशी क्या गम, क्या ज्यादा क्या कम
जो अपना है वही पास है वही सुख दुख में संग है,
क्या शुभ क्या अशुभ, अच्छे बुरे से परे
सबको ही रब ने बनाया है, सब ही सुंदर रंग है।
क्यों खामोशी की चादर ओढ़े रखना
कौन है जो संसार में सदैव सुखी है
हंसो खेलो अपनो को प्यार से जोड़े रखो
सिर्फ सोच का ही फर्क है वरना सब दुखी है
जिंदगी में नित नई चुनौतियाँ, रोज नई जंग है
सबको ही रब ने बनाया ……
आया है रंगों का त्योहार आओ खुशी मनाएं
कल की फिक्र छोड़ आज का शुक्र मनाये
सुख दुख के संगम से ही बना जीवन संगीत
इस सरगम को क्यों ना हँसकर ही गायें।
मुसीबतो की जिसने ना की परवाह वही मलंग है
सबको ही रब ने बनाया….
लाल पीले नीले रंग है, अबीर है गुलाल है
खो जाओ इनकी रंगीनी में किस बात का मलाल है,
ये दिन ये लम्हे वापस लौट के नहीं आने के जनाब
कल के बाद वही दौड़-भाग, सबका वही हाल है।
जिसे जिंदगी जीने का तरीका पता चल गया उसे देखकर दुनिया भी दंग है
सतरंगी है ये दुनिया और इतने ही प्यारे इसके रंग है।
रचयिता – आरती
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