बादल

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meenu yatin

17 Aug 20241 min read

Published in poetry

बादल

नीले नीले गगन पर मंडराए

उजले उजले उजियारे बादल

भाते हैं  मुझको वो

काजल से  कजियारे बादल

 

आसमा की गोद में झूलते

 खेलते ये अलसाए बादल

केसर सी घुल जाए इसमें ,जब

सूरज का साथ निभाए बादल

 

हवा के संग चल पड़ते कभी 

झूम के इठलाए बादल

घिर घिर के  बरसे कही ,

जैसे हों पगलाए बादल

कैसे इसने सूरज छिपाया 

जाने  कहाँ से ये आए बादल

 

मेरे शहर की हवा बदल दी

क्या तुमने भिजवाए बादल ?

कभी चमक के बिजली  छुप जाती

कभी गरज धमकाए बादल

बूँद बूदँ कर  आसमान  से 

मोती हैं  बरसाए बादल।

 

मीनू यतिन

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बादल

नीले नीले गगन पर मंडराए

उजले उजले उजियारे बादल

भाते हैं  मुझको वो

काजल से  कजियारे बादल

 

आसमा की गोद में झूलते

 खेलते ये अलसाए बादल

केसर सी घुल जाए इसमें ,जब

सूरज का साथ निभाए बादल

 

हवा के संग चल पड़ते कभी 

झूम के इठलाए बादल

घिर घिर के  बरसे कही ,

जैसे हों पगलाए बादल

कैसे इसने सूरज छिपाया 

जाने  कहाँ से ये आए बादल

 

मेरे शहर की हवा बदल दी

क्या तुमने भिजवाए बादल ?

कभी चमक के बिजली  छुप जाती

कभी गरज धमकाए बादल

बूँद बूदँ कर  आसमान  से 

मोती हैं  बरसाए बादल।

 

मीनू यतिन

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