
बादल

बादल
नीले नीले गगन पर मंडराए
उजले उजले उजियारे बादल
भाते हैं मुझको वो
काजल से कजियारे बादल
आसमा की गोद में झूलते
खेलते ये अलसाए बादल
केसर सी घुल जाए इसमें ,जब
सूरज का साथ निभाए बादल
हवा के संग चल पड़ते कभी
झूम के इठलाए बादल
घिर घिर के बरसे कही ,
जैसे हों पगलाए बादल
कैसे इसने सूरज छिपाया
जाने कहाँ से ये आए बादल
मेरे शहर की हवा बदल दी
क्या तुमने भिजवाए बादल ?
कभी चमक के बिजली छुप जाती
कभी गरज धमकाए बादल
बूँद बूदँ कर आसमान से
मोती हैं बरसाए बादल।
मीनू यतिन
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