
लाल टिका
लाल टिका
लाल टिका, माथे का,
अजब उन्माद भरता था,
हल्का सा ही था,
पर कुछ अलग होने का
जज्बात भरता था।
सोचता रहता, आखिर
खास क्या है आज,
रोज की ही सुबह थी,
रोज का ही सफर था,
पर माथे पर सजे तिलक से,
बात अलग थीं आज।
आज परीक्षा थी,
माँ ने निकलते वक़्त
आशीर्वाद दिया,
साथ रहे वह,
इसलिए टीका किया।
बस, मौसम बदल गया,
जो कोई प्रश्न मुश्किल भी था,
वह भी संभल गया।
लोग इसका जो भी
मतलब निकाले,
पर माँ के टीके ने
साथ दिया,
घबराये, बेचैन मन को
शांत किया।
दिनेश कुमार सिंह
Comments (0)
Please login to share your comments.