
राम तभी वह कहलाता है
राम तभी वह कहलाता है
पाकर सिंहासन भी,
वन को जो जाता है,
राम तभी वह कहलाता है।
सर्वगुण संपन्न होकर भी,
ऋषियों से, ज्ञान जो पाता है,
राम तभी वह कहलाता है।
मन का अभिमान
जब पथ पर नतमस्तक
हो जाता है,
राम तभी वह कहलाता है।
सुग्रीव, हनुमंत, जटायू
प्राणी मात्र को भी,
मित्र जो बनाता है,
राम तभी वह कहलाता है।
जूठे बेर सबरी के जो
खाता और खिलाता है
राम तभी वह कहलाता है।
राम विद्या है, शास्त्र है,
मंत्र है, शस्त्र है,
राम समझे बिना,
जीवन का क्या
अर्थ है।
जो संसार का कर्ता- धर्ता होकर भी,
एक मनुष्य का कर्तव्य निभाता है,
राम तभी वह कहलाता है।
प्रभु राम तभी वह कहलाता है।
दिनेश कुमार सिंह
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