निकल कर दायरों से ….

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meenu yatin

11 Aug 20241 min read

Published in poetry

निकल कर दायरों से ….

कुछ बातें समझने
के लिए छोड़ देते हैं
हर बात जुबां से
बताया नही करते ।

है तो है प्यार, रहेगा ताउम्र
हर रोज़ प्यार जताया नहीं करते ।

गुनगुनाना नहीं जरूरी ,
तराना एहसासों का
हर नज्म, हर किसी को
सुनाया नहीं करते ।

गर है शौक जीने का
तो जी लो खुल के
अरमानों को दिलों में,
दबाया नहीं करते ।

कुदरत ने बख्शी है सबको
अलग सी कोई नेमत
यूँ हुनर खुद का
छुपाया नहीं करते ।

निकल कर दायरों से ,
सोच को नई उड़ान दो
लोगों के कहे में
बार-बार आया नहीं करते ।

हर कदम सोच कर
बढा़ना नहीं अच्छा ,
और बढा़ दिया तो
कदम डगमगाया नहीं करते ।

हर कदम पर फिक्र अच्छी नहीं
नये परिंदो को डराया नहीं करते ।

बात अच्छी लगे तो ही हँसना,
यूँ हर बात पर मुस्कुराया नहीं करते।

कुछ तो चल रहा होगा
जेहन में हुज़ूर के, वरना
हर्फों से इस कदर बतियाया नहीं करते।

 

मीनू यतिन

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निकल कर दायरों से ….

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meenu yatin

11 Aug 20241 min read

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निकल कर दायरों से ….

कुछ बातें समझने
के लिए छोड़ देते हैं
हर बात जुबां से
बताया नही करते ।

है तो है प्यार, रहेगा ताउम्र
हर रोज़ प्यार जताया नहीं करते ।

गुनगुनाना नहीं जरूरी ,
तराना एहसासों का
हर नज्म, हर किसी को
सुनाया नहीं करते ।

गर है शौक जीने का
तो जी लो खुल के
अरमानों को दिलों में,
दबाया नहीं करते ।

कुदरत ने बख्शी है सबको
अलग सी कोई नेमत
यूँ हुनर खुद का
छुपाया नहीं करते ।

निकल कर दायरों से ,
सोच को नई उड़ान दो
लोगों के कहे में
बार-बार आया नहीं करते ।

हर कदम सोच कर
बढा़ना नहीं अच्छा ,
और बढा़ दिया तो
कदम डगमगाया नहीं करते ।

हर कदम पर फिक्र अच्छी नहीं
नये परिंदो को डराया नहीं करते ।

बात अच्छी लगे तो ही हँसना,
यूँ हर बात पर मुस्कुराया नहीं करते।

कुछ तो चल रहा होगा
जेहन में हुज़ूर के, वरना
हर्फों से इस कदर बतियाया नहीं करते।

 

मीनू यतिन

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