कमी

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meenu yatin

11 Aug 20241 min read

Published in poetry

कमी


यूँ तो कहने को बहुत कुछ था,
जो तू जानता नहीं था ।
अगर दिल की ही माने तो
फिर सब कुछ सही था ।

बहुत खोजा था तुझमें,
मगर मिला ही नहीं
जो एहसास था मुझमें
वो तुझमें नहीं था।

तुम सा ढूँढने का
ख़याल भी न आया
कोई इस जहां में,
तुमसा नहीं था।

 

मीनू यतिन

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meenu yatin

11 Aug 20241 min read

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कमी


यूँ तो कहने को बहुत कुछ था,
जो तू जानता नहीं था ।
अगर दिल की ही माने तो
फिर सब कुछ सही था ।

बहुत खोजा था तुझमें,
मगर मिला ही नहीं
जो एहसास था मुझमें
वो तुझमें नहीं था।

तुम सा ढूँढने का
ख़याल भी न आया
कोई इस जहां में,
तुमसा नहीं था।

 

मीनू यतिन

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