मेरी माँ

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prarthana singh

28 Jul 20241 min read

Published in poetry

#mothersday2022

 

 

मेरी माँ

पाल- पोस के बड़ा किया जिसने,
हर तकलीफ को आसान किया जिसने। 
जिसके बिना मैं अधूरी ही रेह जाऊँगी, 
वो है मेरी माँ।

लड़ी बहुत उससे, पर प्यार उससे ज़्यादा किया,
देखते ही देखते एक दिन उसमे एक दोस्त को पा लिया।
सब खोया उसने मेरे लिए पर कभी कुछ न बोली,
ऐसी है मेरी माँ।

हस्ते खेलते रहती हमेशा, अपनी तक्लीफ़ों को छुपाती ,
दूसरों के बारे में ही सोचती और अपने आप को पीछे कर देती।
हर मुश्किल का तोड़ हो जिसके पास ,
वो है मेरी माँ।

कभी न कहा होगा, शायद कभी न कह पाऊँगी,
पर दुनिया भर का प्यार तुमसे ही बाँटना चाहूंगी।
जिसके बिना तो जन्नत भी अधूरी है,
वो है मेरी माँ।

 

प्रार्थना सिंह

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prarthana singh

28 Jul 20241 min read

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मेरी माँ

पाल- पोस के बड़ा किया जिसने,
हर तकलीफ को आसान किया जिसने। 
जिसके बिना मैं अधूरी ही रेह जाऊँगी, 
वो है मेरी माँ।

लड़ी बहुत उससे, पर प्यार उससे ज़्यादा किया,
देखते ही देखते एक दिन उसमे एक दोस्त को पा लिया।
सब खोया उसने मेरे लिए पर कभी कुछ न बोली,
ऐसी है मेरी माँ।

हस्ते खेलते रहती हमेशा, अपनी तक्लीफ़ों को छुपाती ,
दूसरों के बारे में ही सोचती और अपने आप को पीछे कर देती।
हर मुश्किल का तोड़ हो जिसके पास ,
वो है मेरी माँ।

कभी न कहा होगा, शायद कभी न कह पाऊँगी,
पर दुनिया भर का प्यार तुमसे ही बाँटना चाहूंगी।
जिसके बिना तो जन्नत भी अधूरी है,
वो है मेरी माँ।

 

प्रार्थना सिंह

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