बड़ा शहर

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namrata gupta

11 Aug 20241 min read

Published in poetry

बड़ा शहर

दूर दूर तक भागती है ज़िन्दगी
खुद् मे खुद को तलाशती है ज़िन्दगी

बड़े-बड़े शहरो के
बड़ी-बड़ी इमारते

इमारतो के दीवारों पर
सुख-दुःख के पन्नों को

तराशती है ज़िन्दगी
लोग कहते है की

बड़े-बड़े शहरो मे आकर खो जाते है सब
खो नहीं जाते दोस्तों, बल्कि बड़े शेहरो के प्यार, अपनेपन से उसी शहर के हो जाते है सब
बड़े-बड़े शहरो ने

दिया है आशियाना सभी को
अपने चकाचोंध से
किया है दीवाना सभी को
आधी रात तक आखों मे सपने लिए जाते लोग

सुबह-सुबह बैग लटकाए भागते लोग
लोकल ट्रेन की भीड़-भाड़ मे भी
अन्ताक्षरी खेलते हुए
गुन-गुनाते लोग

कुछ तो बात है इस शहर मे
कोई छोड़कर जाना नहीं चाहता इस शहर को
उठना चाहता है इमारतों से भी ऊपर
छूना चाहता है समुद्र की लहर को
सबको अपना बनाया है इस शहर ने

दुनिया मे सभी के लिए अपनेपन का
परचम लहराया है बड़े शहर ने

 

नम्रता गुप्ता

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namrata gupta

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बड़ा शहर

दूर दूर तक भागती है ज़िन्दगी
खुद् मे खुद को तलाशती है ज़िन्दगी

बड़े-बड़े शहरो के
बड़ी-बड़ी इमारते

इमारतो के दीवारों पर
सुख-दुःख के पन्नों को

तराशती है ज़िन्दगी
लोग कहते है की

बड़े-बड़े शहरो मे आकर खो जाते है सब
खो नहीं जाते दोस्तों, बल्कि बड़े शेहरो के प्यार, अपनेपन से उसी शहर के हो जाते है सब
बड़े-बड़े शहरो ने

दिया है आशियाना सभी को
अपने चकाचोंध से
किया है दीवाना सभी को
आधी रात तक आखों मे सपने लिए जाते लोग

सुबह-सुबह बैग लटकाए भागते लोग
लोकल ट्रेन की भीड़-भाड़ मे भी
अन्ताक्षरी खेलते हुए
गुन-गुनाते लोग

कुछ तो बात है इस शहर मे
कोई छोड़कर जाना नहीं चाहता इस शहर को
उठना चाहता है इमारतों से भी ऊपर
छूना चाहता है समुद्र की लहर को
सबको अपना बनाया है इस शहर ने

दुनिया मे सभी के लिए अपनेपन का
परचम लहराया है बड़े शहर ने

 

नम्रता गुप्ता

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