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चली गई वो....
चली गई वो...
सिसकते, बिलखते...
जिंदगी की भीख मांगते...
चली गई वो....
कितने सपने संजोय होगे उसने
माता-पिता की हर ख्वाहिश को
पूरा करूंगी मैं...
भाई-बहनों को भी अपनी तरह काबिल
बनाउंगी मैं
पर सारे सपने बीच मझदार मे छोड़ कर ही
चली गई वो...
क्या बीती होगी उस माता-पिता के कलेजे पर
जब उन्होंने अपनी फूल सी बच्ची को
इस अवस्था मे देखा होगा
बचपन में जब "बिटिया रानी" बीमार होती थी
तब उसके हर बिमारी ला इलाज होता था बूढ़े माँ-बाप के पास
पर इस बार, अपनी इतनी बड़ी पीड़ा को
माँ-बाप को बिना बताए...
चली गई वो...
धिक्कार है उन हैवानो पर
शर्म करो रे हैवान,
जो दुसरो की ज़िन्दगी को बचाने के लिए ,
रात-रात भर सोई नहीं थी....
उस नाजुक कली को इस बेरहमी से कुचला तुमने
की वो उस दर्द को सहन न कर पायी
और फिर...
चली गई वो...
बहुत हो चूका कैंडल जलाना....
परेड लगाना...
अब समय आ चूका है
"रावण" को जिंदा जलाने का
हर "हैवान" को समझाना होगा...
"नारी" नहीं है कोई चीज़ दिल बहलाने का ...
जाते-जाते इतनी पीड़ा लेकर गई हो आप...
भगवान है, और विश्वाश है की
आपको एक दिन जरुर मिलेगा इन्साफ
हम सब अब उस इन्साफ का करेंगे इंतेज़ार,
रोती,बिलखती, सिसकती.....
चली गई वो...
नम्रता गुप्ता
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