कब सोचा था

Avatar
meenu yatin

8 Nov 20241 min read

Published in poetrylatest

आंखों में बेबसी,दिल में मलाल होगा
होठों पे तल्खी ,चेहरा भी सुर्ख लाल होगा
कब सोचा था ऐ दोस्त,तेरे बगैर जिंदगी में
ऐसा भी एक साल होगा।

जरा सोच समझ कर मुकद्दमा खारिज करना
वो किसी की जिंदगी का सवाल होगा।

जब जिक्र होगा दोस्ती का महफिलों में
मेरे जेहन में तेरा ही खयाल होगा।

काश के ये सोच के सच को छुपाते न तुम
बात निकलेगी तो उसका क्या हाल होगा।

काश के लौटा पाऊं वो बेपरवाह हंसी के पल
लौट पाए तो सच मानो फिर कमाल होगा।

मीनू यतिन

Comments (0)

Please login to share your comments.



कब सोचा था

Avatar
meenu yatin

8 Nov 20241 min read

Published in poetrylatest

आंखों में बेबसी,दिल में मलाल होगा
होठों पे तल्खी ,चेहरा भी सुर्ख लाल होगा
कब सोचा था ऐ दोस्त,तेरे बगैर जिंदगी में
ऐसा भी एक साल होगा।

जरा सोच समझ कर मुकद्दमा खारिज करना
वो किसी की जिंदगी का सवाल होगा।

जब जिक्र होगा दोस्ती का महफिलों में
मेरे जेहन में तेरा ही खयाल होगा।

काश के ये सोच के सच को छुपाते न तुम
बात निकलेगी तो उसका क्या हाल होगा।

काश के लौटा पाऊं वो बेपरवाह हंसी के पल
लौट पाए तो सच मानो फिर कमाल होगा।

मीनू यतिन

Comments (0)

Please login to share your comments.