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कोमल

कोमल
एक बार में ही
कितनी बातें
आँखें बोलें, चेहरा बोले
निगाहें
उसको देखे जाती हैं
गहरी आँखें,
होठं कमल,
वो लड़की है,
या कोई गजल,
कोमल सा मन
कोमल सा तन,
वो कोमल कहलाती है।
गुलाबी सी
मुस्कान है उसकी,
हँसी मोगरे के
फूल बिखराती है।
खेलती हँसती सी
वो लड़की खुद ही खुद पे
इतराती है।
खुद से ही
प्यार है उसको
खुद पे वो
प्यार लुटाती है।
मीनू यतिन
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