कोमल

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meenu yatin

28 Jul 20241 min read

Published in poetry

कोमल

एक बार में ही
कितनी बातें
आँखें बोलें, चेहरा बोले
निगाहें
उसको देखे जाती हैं
गहरी आँखें,
होठं कमल,
वो लड़की है,
या कोई गजल,
कोमल सा मन
कोमल सा तन,
वो कोमल कहलाती है।

गुलाबी सी
मुस्कान है उसकी,
हँसी मोगरे के
फूल बिखराती है।
खेलती हँसती सी
वो लड़की खुद ही खुद पे
इतराती है।

खुद से ही
प्यार है उसको
खुद पे वो
प्यार लुटाती है।

मीनू यतिन

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कोमल

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meenu yatin

28 Jul 20241 min read

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कोमल

एक बार में ही
कितनी बातें
आँखें बोलें, चेहरा बोले
निगाहें
उसको देखे जाती हैं
गहरी आँखें,
होठं कमल,
वो लड़की है,
या कोई गजल,
कोमल सा मन
कोमल सा तन,
वो कोमल कहलाती है।

गुलाबी सी
मुस्कान है उसकी,
हँसी मोगरे के
फूल बिखराती है।
खेलती हँसती सी
वो लड़की खुद ही खुद पे
इतराती है।

खुद से ही
प्यार है उसको
खुद पे वो
प्यार लुटाती है।

मीनू यतिन

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