ये साल कैसे गुजरा

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meenu yatin

31 Dec 20251 min read

Published in poetrylatest

भारी भारी रहा
बिखरा बिखरा रहा
ये साल कमबख्त
गुजरते गुजरते गुजरा ।

मुड़ कर देखती हूं तो
समझना भी नहीं चाहती
कैसे कटा ये भला
क्या क्या नहीं गुजरा ।

अब ये उम्मीद है
के आने वाले दिन हों बेहतर।
अच्छी अच्छी सी यादें जुड़ें
हर दिन पहले से हो बेहतर।

अब तो बस
हौसला रख के कहते हैं
गुजर ही गया जो भी गुजरा।

~मीनू यातिन

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meenu yatin

31 Dec 20251 min read

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भारी भारी रहा
बिखरा बिखरा रहा
ये साल कमबख्त
गुजरते गुजरते गुजरा ।

मुड़ कर देखती हूं तो
समझना भी नहीं चाहती
कैसे कटा ये भला
क्या क्या नहीं गुजरा ।

अब ये उम्मीद है
के आने वाले दिन हों बेहतर।
अच्छी अच्छी सी यादें जुड़ें
हर दिन पहले से हो बेहतर।

अब तो बस
हौसला रख के कहते हैं
गुजर ही गया जो भी गुजरा।

~मीनू यातिन

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