सफर में हैं सारे साथी,मिलते हैं बिछड़ जाते हैं।

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meenu yatin

31 Dec 20251 min read

Published in poetrylatest

रोकर आने वाले
रुला के चले जाते हैं ।

सफर में हैं सारे साथी
मिलते हैं ,बिछड़ जाते  हैं।

कौन ,कब ,कहां ,कैसे
बस ये नहीं मालूम है
जब जिनके पड़ाव आते हैं
उसी पल उतर जाते हैं।

सफर में है सारे साथी
मिलते हैं, बिछड़ जाते हैं।

कोई पल भर का साथी है
कोई  लगे साथी है जन्मों का,
कोई अपना बन के आता है
किसी को अपना बनाते हैं।

कोई दुनिया में लाया है
किसी से दुनिया आबाद है।

जल जाता है सब कुछ
जैसे बचती बस राख है।

लोग चले जाते है
रह जाती बस याद है।

हाथ रह जाते हैं खाली से
हाथों से हाथ छूट जाते हैं ।

सफ़र मे हैं सारे साथी
मिलते हैं, बिछड़ जाते हैं।

~मीनू यतिन

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सफर में हैं सारे साथी,मिलते हैं बिछड़ जाते हैं।

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meenu yatin

31 Dec 20251 min read

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रोकर आने वाले
रुला के चले जाते हैं ।

सफर में हैं सारे साथी
मिलते हैं ,बिछड़ जाते  हैं।

कौन ,कब ,कहां ,कैसे
बस ये नहीं मालूम है
जब जिनके पड़ाव आते हैं
उसी पल उतर जाते हैं।

सफर में है सारे साथी
मिलते हैं, बिछड़ जाते हैं।

कोई पल भर का साथी है
कोई  लगे साथी है जन्मों का,
कोई अपना बन के आता है
किसी को अपना बनाते हैं।

कोई दुनिया में लाया है
किसी से दुनिया आबाद है।

जल जाता है सब कुछ
जैसे बचती बस राख है।

लोग चले जाते है
रह जाती बस याद है।

हाथ रह जाते हैं खाली से
हाथों से हाथ छूट जाते हैं ।

सफ़र मे हैं सारे साथी
मिलते हैं, बिछड़ जाते हैं।

~मीनू यतिन

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