खुद के साथ

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meenu yatin

8 Nov 20241 min read

Published in poetrylatest

चलिए एक शाम खुद के साथ गुजारी जाए
खुद से खुद की एक मुलाकात कर दी जाए।

निगाहें बंद करके, झांक के अपने दिल में
अपनी ही तस्वीर आंखों में उतारी जाए।

खुद से गिला भी करें, मुहब्बत भी खुद से
खुद अपनी ही नज़र आप उतारी जाए।

कोई आए न बढ़ के हाथ थामने तो
खुद से यारी भी निभाई जाए।

मुस्कुराए खुद के साथ मिलकर
एक शाम खुद के साथ बिताई जाए।

मीनू यतिन

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meenu yatin

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चलिए एक शाम खुद के साथ गुजारी जाए
खुद से खुद की एक मुलाकात कर दी जाए।

निगाहें बंद करके, झांक के अपने दिल में
अपनी ही तस्वीर आंखों में उतारी जाए।

खुद से गिला भी करें, मुहब्बत भी खुद से
खुद अपनी ही नज़र आप उतारी जाए।

कोई आए न बढ़ के हाथ थामने तो
खुद से यारी भी निभाई जाए।

मुस्कुराए खुद के साथ मिलकर
एक शाम खुद के साथ बिताई जाए।

मीनू यतिन

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