लाल चुनर में मां

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meenu yatin

25 Sept 20251 min read

Published in poetrylatest

सजी धजी लाल चुनर में मां
कैसी जगमगा रही हैं
हर तरफ खुशी ही खुशी
हर दिशा जैसे मां के गीत गा रही है
मां के होठों की मुस्कान
दुनिया के हर दुख दर्द को मिटा रही है।

मां हर साल यूं ही
सज धज के आती रहें ।

अपने आशीर्वाद की शीतल छाया
हम सब पे बरसाती रहें।

दुनिया भर की बेटियां
मां की तरह सम्मान पाएं
उनकी खुशियों को मां बुरी नजरों से बचाएं
जब जब अस्मत पे कोई आंच आए
अबला सी बेटियां दुर्गा बन दुष्टों से लड़ जाए।

अपने नवदुर्गा रूप का अंश ,मां
बेटियों में आशीष स्वरूप भर जाएं ।

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लाल चुनर में मां

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meenu yatin

25 Sept 20251 min read

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सजी धजी लाल चुनर में मां
कैसी जगमगा रही हैं
हर तरफ खुशी ही खुशी
हर दिशा जैसे मां के गीत गा रही है
मां के होठों की मुस्कान
दुनिया के हर दुख दर्द को मिटा रही है।

मां हर साल यूं ही
सज धज के आती रहें ।

अपने आशीर्वाद की शीतल छाया
हम सब पे बरसाती रहें।

दुनिया भर की बेटियां
मां की तरह सम्मान पाएं
उनकी खुशियों को मां बुरी नजरों से बचाएं
जब जब अस्मत पे कोई आंच आए
अबला सी बेटियां दुर्गा बन दुष्टों से लड़ जाए।

अपने नवदुर्गा रूप का अंश ,मां
बेटियों में आशीष स्वरूप भर जाएं ।

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