पापा

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meenu yatin

4 May 20251 min read

Published in poetrylatest

कहने को दो शब्द
लेकिन मेरी पूरी दुनिया।
तुम्हारे दिल का एक टुकड़ा मै
तुम मेरे वजूद का आधा हिस्सा।

मैने कभी सोचा ही नहीं
के ऐसा भी कुछ होगा।
एक दिन घर लौटूंगी और
देखूंगी कुछ ऐसा।

देख तुम्हे सोते, खामोशी से,
तुमको आवाज लगाऊंगी ।
पर तुम्हारी आवाज
दोबारा सुन न पाऊंगी।

काश के मै आ जाती पहले
काश के मै मिल पाती तुमसे
बिन कुछ बोले क्यों चले गए हो
बोलो अब किसका मुंह देखू
मां को मैं संभालूं कैसे?
जब खुद टूट गई हूँ ।

जाने कितना दर्द रहा हो
जाने तुमने क्या सहा हो
जाने रात वो बीती कैसे
काश के मै कुछ कर पाती
खुद को मैं समझाऊं कैसे
जब खुद से ही उलझ रही हूँ?

साथ तुम्हारे जो दिन बीते
साथ तुम्हारे जो जीवन बीता
उससे अच्छा कुछ भी नहीं है
तुमसे प्यारा कोई नहीं था।
तुमको काश बता पाती के
तुमसा कोई  अपना नहीं था।

तुम्हारी कमी को अब कैसे भरूं?
उस खाली जगह का
अब मै क्या करूं?
जिस दिन गए
मुझमें से कुछ मुझ ही सा तुम ले गए।
कहूं कुछ भी तो कैसे कहूं
तुम एक खामोशी दे गए।

अब खुद को आधा ही पा रही हूं।
जिंदगी तुम बिन है अधूरी
बिना मन के जैसे जिए जा रही हूं।

मीनू यतिन

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पापा

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meenu yatin

4 May 20251 min read

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कहने को दो शब्द
लेकिन मेरी पूरी दुनिया।
तुम्हारे दिल का एक टुकड़ा मै
तुम मेरे वजूद का आधा हिस्सा।

मैने कभी सोचा ही नहीं
के ऐसा भी कुछ होगा।
एक दिन घर लौटूंगी और
देखूंगी कुछ ऐसा।

देख तुम्हे सोते, खामोशी से,
तुमको आवाज लगाऊंगी ।
पर तुम्हारी आवाज
दोबारा सुन न पाऊंगी।

काश के मै आ जाती पहले
काश के मै मिल पाती तुमसे
बिन कुछ बोले क्यों चले गए हो
बोलो अब किसका मुंह देखू
मां को मैं संभालूं कैसे?
जब खुद टूट गई हूँ ।

जाने कितना दर्द रहा हो
जाने तुमने क्या सहा हो
जाने रात वो बीती कैसे
काश के मै कुछ कर पाती
खुद को मैं समझाऊं कैसे
जब खुद से ही उलझ रही हूँ?

साथ तुम्हारे जो दिन बीते
साथ तुम्हारे जो जीवन बीता
उससे अच्छा कुछ भी नहीं है
तुमसे प्यारा कोई नहीं था।
तुमको काश बता पाती के
तुमसा कोई  अपना नहीं था।

तुम्हारी कमी को अब कैसे भरूं?
उस खाली जगह का
अब मै क्या करूं?
जिस दिन गए
मुझमें से कुछ मुझ ही सा तुम ले गए।
कहूं कुछ भी तो कैसे कहूं
तुम एक खामोशी दे गए।

अब खुद को आधा ही पा रही हूं।
जिंदगी तुम बिन है अधूरी
बिना मन के जैसे जिए जा रही हूं।

मीनू यतिन

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