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नानी

नानी
कहने को तो एक छोटा सा शब्द लेकिन अपने अंदर पूरी दुनिया समेटे। मैं भी उन सौभागयशाली लोगों में से एक हूँ जिन्हें भर- भर कर नानी- नाना का प्यार मिला। नानी का घर हमारे लिए घर नहीं ,आजादी की दुनिया थी जहांँ कोई रोक टोक नहीं, बस मनमर्जियाँ और नानी नाना ,मामा मामी का ढेर सारा प्यार दुलार।
मजाल है कोई नानी के सामने हमें डाँट भी दे।नानी ढाल बनकर हमारे सामने खडी़ रहती थीं।अकसर हमें टाॅफी-चाकलेट के लिए पैसे पकडा़ देतीं।काॅटन की साडी़, माथे पे बिंदी, ममतामयी मुस्कान। एकदम सादगी की मूरत लगती थीं।आज वो भले ही मेरे पास नहीं पर उनकी यादें हमेशा मेरे साथ हैं।
आज मै दो बच्चों की माँ हूँ, और जब भी उन्हें ले के मायके जाती हूँ और वही प्यार दुलार अपने बच्चों को अपनी माँ से पाते देखती हूँ,मुझे अपनी माँ में अपनी नानी का अक्स दिख जाता है।मैं मुस्कुराकर अपनी माँ को भरपूर निहार लेती हूंँ ।क्योंकि मुझे पता है कि नानी कहीं नहीं गईं, वो आज भी मेरी माँ में जिदां हैं।
मीनू यतिन
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