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महाभारत ना होती
महाभारत ना होती
यदि कर्ण में ईशभक्ति होती,
तो हे कृष्ण, महाभारत ना होती।
यदि द्रौपदी की वाणी संयम में होती,
तो हे जनार्दन, महाभारत ना होती।
यदि भीष्म ने राजा कि अपेक्षा राज्य को महत्ता दी होती,
तो हे मधुसूदन, महाभारत ना होती।
यदि धृतराष्ट्र की पुत्र में अंध आसक्ति ना होती,
तो हे कालीमर्दन, महाभारत ना होती।
यदि दुर्योधन में अहंकार की गति ना होती,
तो हे यदुनंदन, महाभारत ना होती।
यदि युधिष्ठिर की संपत्ति में सहचरी ना होती,
तो हे अच्युत, महाभारत ना होती।
और, यदि तुम्हारी, हाँ तुम्हारी, स्वयं की इच्छा ना होती,
तो हे देवकीनन्दन, महाभारत ना होती।
रचयिता:
आशीष कुमार त्रिपाठी (अलबेला)
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