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संबंध
परम हाईवे पर गाड़ी चला रहा था।
सड़क के किनारे उसे एक 12-13 साल की लड़की तरबूज बेचती दिखाई दी। परम ने गाड़ी रोक कर पूछा "तरबूज की क्या रेट है बेटा?"
लड़की बोली "50 रुपये का एक तरबूज है साहब।"
पीछे की सीट पर बैठी परम की पत्नी बोली "इतना महंगा तरबूज नही लेना जी। चलो यहाँ से।"
परम बोला "महंगा कहाँ है ? इसके पास जितने तरबूज है कोई भी पांच किलो से कम का नही होगा। 50 रुपये का एक दे रही है तो 10 रुपये किलो पड़ेगा हमें। बाजार से तो तू बीस रुपये किलो भी ले आती है।"
परम की पत्नी ने कहा "तुम रुको मुझे मोल भाव करने दो।”
फिर वह लड़की से बोली "30 रुपये का एक देना है तो दो वरना रहने दो।"
लड़की बोली "40 रुपये का एक तरबूज तो मैं खरीद कर लाती हूँ आंटी। आप 45 रुपये का एक ले लो। इससे सस्ता मैं नही दे पाऊँगी।"
परम की पत्नी बोली "झूठ मत बोलो बेटा। सही रेट लगाओ देखो ये तुम्हारा छोटा भाई है न? इसी के लिए थोड़ा सस्ता कर दो।" उसने खिड़की से झाँक रहे अपने चार वर्षीय बेटे की तरफ इशारा करते हुए कहा।
सुंदर से बच्चे को देख कर लड़की एक तरबूज हाथों में उठाते हुए गाड़ी के करीब आ गई। फिर लड़के के गालों पर हाथ फेर कर बोली "सचमुच मेरा भाई तो बहुत सुंदर है आँटी।"
परम की पत्नी बच्चे से बोली "दीदी को नमस्ते बोलो बेटा।"
बच्चा प्यार से बोला "नमस्ते दीदी।" लड़की ने गाड़ी की खिड़की खोल कर बच्चे को बाहर निकाल लिया फिर बोली ""तुम्हारा नाम क्या है भैया ?"
लड़का बोला "मेरा नाम गोलू है दीदी।"
बेटे को बाहर निकालने के कारण परम की पत्नी कुछ असहज हो गई। तुरंत बोली "अरे बेटा इसे वापस अंदर भेजो। इसे डस्ट से एलर्जी है।"
लड़की उसकी आवाज पर ध्यान न देते हुए लड़के से बोली "तु तो सचमुच गोल मटोल है रे भाई। तरबूज खाएगा?"
लड़के ने हाँ में गर्दन हिलाई तो लड़की ने तरबूज उसके हाथों में थमा दिया।
पाँच किलो का तरबूज गोलू नही संभाल पाया। तरबूज फिसल कर उसके हाथ से नीचे गिर गया और फूट कर तीन चार टुकड़ों में बंट गया। तरबूज के गिर कर फुट जाने से लड़का रोने लगा।
लड़की उसे पुचकारते हुए बोली "अरे भाई रो मत। मैं दूसरा लाती हूँ।" फिर वह दौड़कर गई और एक और बड़ा सा तरबूज उठा लाई।
जब तक वह तरबूज उठा कर लाई इतनी देर में परम की पत्नी ने बच्चे को अंदर गाड़ी मे खींच कर खिड़की बंद कर ली। लड़की खुले हुए शीशे से तरबूज अंदर देते हुए बोली "ले भाई ये बहुत मिठा निकलेगा।” परम चुपचाप बैठा लड़की की हरकतें देख रहा था।
परम की पत्नी बोली "जो तरबूज फूटा है मैं उसके पैसे नही दूँगी। वह तुम्हारी गलती से फूटा है।"
लड़की मुस्कराते हुए बोली "उसको छोड़ो आंटी। आप इस तरबूज के पैसे भी मत देना। ये मैंने अपने भाई के लिए दिया है।"
इतना सुनते ही परम और उसकी पत्नी दोनों एक साथ चौंक पड़े।
परम बोला "नही बिटिया तुम अपने दोनों तरबूज के पैसे लो।" फिर 100 का नोट उस लड़की की तरफ बढ़ा दिया। लड़की हाथ के इशारे से मना करते हुए वहाँ से हट गई। और अपने बाकी बचे तरबुजों के पास जाकर खड़ी हो गई।
परम भी गाड़ी से निकल कर वहाँ आ गया था। आते ही बोला "पैसे ले लो बेटा वरना तुम्हारा बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा।" लड़की बोली "माँ कहती है जब बात संबंधों की हो तो हानि लाभ नही देखा जाता। आपने गोलू को मेरा भाई बताया मुझे बहुत अच्छा लगा। मेरा भी एक छोटा सा भाई था मगर...
परम बोला "क्या हुआ तुम्हारे भाई को?"
वह बोली "जब वह दो साल का था तब उसे रात में बुखार हुआ था। सुबह माँ हॉस्पिटल में ले जा पाती उससे पहले ही उसने दम तौड़ दिया था। मुझे मेरे भाई की बहुत याद आती है। उससे एक साल पहले पापा भी ऐसे ही हमें छोड़ कर गुजर गए थे।
परम की पत्नी बोली "ले बिटिया अपने पैसे ले ले।"
लड़की बोली "पैसे नही लुंगी आंटी।"
परम की पत्नी गाड़ी मे गई फिर अपने बैग से एक ड्रेस निकाली। जो उसने अपनी आठ वर्षीय बेटी के लिए आज ही तीन हजार में खरीदी थी। लड़की को देते हुए बोली। तुमने गोलू को भाई माना तो मैं तुम्हारी माँ जैसी हुई ना। अब तू ये लेने से मना नही कर सकती।
लड़की ने हाथ नही बढ़ाया तो उसने जबरदस्ती लड़की की गोद में ड्रेस रखते हुए कहा "रख ले। जब भी पहनेगी तुझे हम सब की याद आएगी।" इतना कहकर वह वापस गाड़ी मे जाकर बैठ गई।
फिर परम ने गाड़ी स्टार्ट की और लड़की को बाय बोलते हुए वे चले पड़े। परम गाड़ी चलाते हुए सोच रहा था कि भावुकता भी क्या चीज है। कुछ देर पहले उसकी पत्नी दस बीस रुपये बचाने के लिए हथकंडे अपना रही थी। कुछ देर में ही इतनी बदल गई जो तीन हजार की ड्रेस दे आई।
फिर अचानक परम को लड़की की एक बात याद आई "संबंधों में हानि लाभ नही देखा जाता।"
परम का प्रॉपर्टी के विवाद को लेकर अपने ही बड़े भाई से कोर्ट में मुकदमा चल रहा था। उसने तुरंत अपने बड़े भाई को फोन मिलाया। फोन उठाते ही बोला "भैया मैं परम बोल रहा हूँ।"
भाई बोला "फोन क्यों किया?"
परम बोला "भैया आप वो मैन मार्केट वाली दुकान ले लो। मेरे लिए मंडी वाली छोड़ दो। और वो बड़े वाला प्लॉट भी आप ले लो। मैं छोटे वाला ले लूंगा। मैं कल ही मुकदमा वापस ले रहा हूँ।" सामने से काफी देर तक आवाज नही आई।
फिर उसके बड़े भाई ने कहा "इससे तो तुम्हे बहुत नुकसान हो जाएगा छोटे? "परम बोला "भैया आज मुझे समझ में आ गया है संबंधों में हानि लाभ नही देखा जाता एक दूसरे की खुशी देखी जाती है। उधर से फिर खामोशी छा गई। फिर परम को बड़े भाई की रोने की आवाज सुनाई दी।
परम बोला "रो रहे हो क्या भैया?"
बड़ा भाई बोला "इतने प्यार से पहले बात करता तो सब कुछ मैं तुझे दे देता रे। अब घर आ जा, दोनों प्रेम से बैठ कर बंटवारा करेंगे। इतनी बड़ी कड़वाहट कुछ मीठे बोल बोलते ही न जाने कहाँ चली गई थी। कल जो एक एक इंच जमीन के लिए लड़ रहे थे वे आज भाई को सब कुछ देने के लिए तैयार हो गए थे।
कहानी का मोरल :-
त्याग की भावना रखिए। अगर हमेशा देने को तत्पर रहोगे तो लेने वाले का भी हृदय परिवर्तन हो जाएगा। याद रखें संबंधों में हानि लाभ नही देखा जाता। अपनों को निकट रखने के लिए अपना अधिकार भी छोड़ना पड़ता है
धनेश परमार
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