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अधूरी कहानियाँ- भाग 4
"DJ वाले बाबू तीसरा गाना बजाया जाए। इस बार कोई भोजपुरी गाना तो बजाओ DJ बाबू।" अंशिका ने DJ वाले की तरफ देखते हुए कहा।
DJ वाले ने तीसरा गाना बजाया,
"लगावेलू जब लिपिस्टिक
हिलेला आरा डिस्ट्रिक्ट
तू लगावेलू जब लिपिस्टिक
हिलेला आरा डिस्ट्रिक्ट
जिला टॉप लागेलु २
कामरिआ 2 करे लपालप
लॉलीपॉप लागेलु २"
साक्षी ने तुरंत अपने पर्स से लाल रंग की एक लिपस्टिक निकाल कर मुझे खींचते हुए बाल्टी के पास पहुंची और उसमें लिपस्टिक डाल दिया।
"अरे वाह, मेरी बेस्ट फ्रेंड। इस तरह इस गाने के लिए 5 पॉइंट्स साक्षी और शौर्य के टीम को मिलते है।" अंशिका ने ख़ुशी से उछलते हुए घोषणा की ।
"अब ये है अंतिम राउंड। शौर्य और साक्षी के है- 10 पॉइंट्स और रोहन और सोहन के हैं-5 पॉइंट्स। अगर रोहन और सोहन इस राउंड को जीत जाते है तो ये गेम टाई हो जाएगा । इनदोनों जोड़ियों में ही कोई एक बिजेता बनेगा क्योंकि और सारी जोड़ियों ने कोई भी पॉइंग अर्जित नहीं किया है।" अंशिका ने घोषणा की।
"शौर्य, मुझे जीतना हैं। मैंने हार कभी देखा नहीं है और न कभी देखूँगी। इसलिए तुम्हें इस बार एक्टिव रहना होगा।" साक्षी ने मुझे देखते हुए कहा।
"DJ वाले बाबू, अंतिम गाना बजाया जाए।" अंशिका ने DJ वाले से कहा।
DJ वाले ने इस बार सनी लियॉन में फिल्माई गाना बजाया,
"ये दुनिया पित्तल दी
ये दुनिया पित्तल दी
हो बेबी डॉल में सोने दी
हो बेबी डॉल में सोने दी ।"
"मुझे पता हैं कि बेबी डॉल कहाँ हैं। चलो चले।" मैंने खुशी से उछलते हुए साक्षी को देखा।
उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इस बार मैंने उसे खींचते हुए ऊपर वाले रूम की तरफ दौड़ा।
मैं और अंशिका बचपन में गुड्डा औऱ गुड्डी के साथ खेलते थे। मैं गुड्डी का पिता होता था और वो गुड्डे की माँ। गुड्डे और गुड्डी की शादी में अंशिका बहुत इतराती थी और भाव खाती थी, भला क्यों न इतरायें, आख़िर गुड्डे की वो माँ जो ठहरी। गुड्डे और गुड़िया की शादी में हमारे बहुत सारे दोस्त भी दूल्हा और दुल्हन की तरफ से आते थे। बारातियों के नाच में दुल्हन पक्ष के भी सारे लोग खूब नाचते थे, यहाँ तक कि गुड्डी का पापा भी। जब गुड़िया की विदाई होती थी तो गुड्डी का पिता तो नहीं, लेकिन गुड्डे की माँ खूब रोती थी। हम सारे बाराती और सराती उसे चुप कराते हुए थक जाते थे, पर वो रोती ही रहती थी। हर बार की तरह , हम उसे रोते हुए अकेला छोड़ अपने-अपने घर चले जाते।
"हेलो..अरे यार.. कहाँ खो गए? कुछ बोल क्यों नहीं रहे, कहाँ है बेबी डॉल?" साक्षी ने मुझे अपने पुराने कीमती पलों के सपने से उठाते हुए कहा।।
"यही तो हूँ, तुम्हारे साथ।"
"यार तो बेबी डॉल कहाँ हैं? जल्दी बताओं, कहाँ है?"
"अंशिका के रूम में अलमीरा के अंदर।"
"चलो फिर, अंशिका के रूम।"
अंततः बेबी डॉल मेरे हाथ में थी। साक्षी की खुशी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी। उसने खुशी से ताली बजाकर उछलते हुए मुझे गले लगा लिया और उसके बाद मानो मेरी दुनिया ही थम-सी गई थी। उस एक क्षण में बस मैं और साक्षी थे। मैंने भी उसे अपने बाहों में थाम लिया औऱ बस खो-सा गया।
"अरे अब छोड़ो भी। चेप मत हो अब। चलो, हमें जितना हैं।" साक्षी ने दूसरी बार मुझे प्यार भरे क्षण से उठाते हुए कहा।
"सॉरी,सॉरी..I..." मैंने अपनी शर्मिंदगी व्यक्त करने की कोशिश की।
"अब चलो भी।" उसने मेरे हथकड़ी से बंधे हाथ को खींचते हुए कहा।
हमने बेबी डॉल सबसे पहले, उस बाल्टी में डाल दिया था।
"इस राउंड के विजेता हुए मेरे दो जान, साक्षी और शौर्य औऱ इस तरह इनदोनों की जोड़ी ने आज का ये गेम जीत लिया हैं। तालियों की गिड़गिड़ाहट के साथ इनका अभिवादन किया जाए।" अंशिका ने जीत की उद्घोषणा कर दी।
सारे लोग, हमारे लिए ताली बजा रहे थे औऱ मैं बस इस बात से खुश था कि आज इस बहाने मैं साक्षी के करीब आ चुका था।
सागर गुप्ता
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