आस

रिस रहा है गम धीरे धीरे। हो रही हैं आँखे नम धीरे […]

वजूद

क्यों ढूँढते हो मुझे हर किसी में । मैं मिलूंगी तुम्हें बस […]

पल..

गुजर गए जो लम्हे वो कहाँ वापस आते हैं फिर कहाँ मिलते […]

साँसे

जीवन का न जाने क्या खेल है खाली, साँसों और वक्त का […]

करीब

जब करीब थे तब कीमत नहीं थी मुझे दूर जाकर समझा है […]

वक्त

वक्त किसी का नही होता कभी रुकता नही कभी झुकता नही, अपने […]

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