कीमत

नफरत ,बर्बादी के सिवा क्या देगी जो चीज खुद हो बुरी, वो […]

राम

इस माटी की दुनिया में डूबे हुए सारे है, कोई दौड़े, नगर […]

धूप

आंखों में उसके भी नींद लिपटी होगी, पत्तों के कंबल से झांकती […]

कमी

यूँ तो कहने को बहुत कुछ था, जो तू जानता नहीं था […]

तीज

हाथों में मेंहदी लगा के सखी नाम साजन का उसमें

बादल

नीले नीले गगन पर मंडराए उजले उजले उजियारे बादल

आस

रिस रहा है गम धीरे धीरे। हो रही हैं आँखे नम धीरे […]

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