मुलाकात

आज मुद्दतों के बाद उनसे मुलाकात होगी, फिज़ा में फिर वही पुरानी […]

जज़्बात

जज्बातों को दिल में छुपाए फिरते हैं, उन लम्हों को पलकों में […]

पहचान

कुछ कविताएं, जन्म लेती नहीं, बस नजर आती हैं, जीवन के बिखराव […]

दहशत

दहशत में है ज़िन्दगी, जुबां भी हैं दबी-दबी, किससे कहे, कैसे कहे,

हसरत

कवि अशोक कुमार गुप्ता द्वारा रचित – कभी सारी दुनिया का साथ […]

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