अकल्पित मैंने उसे वहाँ दूर बैठा देख एक हल्की-सी मुस्कान दी। पर […]
प्रेम शब्द न ही स्त्रीलिंग है, न ही पुलि्ंलग है। आत्मा में […]
शौर्य भी उसके बात का मर्म समझ गया था। वो समझ गया […]
आप हर बार भोग भोगने के चक्कर में चूक जाते हैं | […]
गुरु साक्षात् परमात्मा का स्वरूप होता है, इसलिए उसके महत्व का तो […]
ये मीठी यादें मेरे जीवन को हरदम गुदगुदाएँगी, बहुत याद आयेगी, बहुत […]
मैंने इस बार हिम्मत करके उसकी आँखों से अपनी आँखें मिलायी। उसकी […]
यादों का पिटारा, जिसे शौर्य ने कहीं गर्त में छुपा लिया था, […]