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SAGAR GUPTA -STAR Author of StoryBerrys

Sagar Gupta calls himself a simple “Gaon ka Chhora”. An aspirant young writer, his debut fiction “Chakravyuh Rishton Ka” is available on Kindle (ASIN : B081CYSYNQ) . Sagar runs two motivational blogs Adamantsagar.blogspot.com and Adamantsagar1.blogspot.com

बुढ़ापा

“मेरी गुलाबजामुन आज इतनी गुस्से में क्यों है?” अंशुमन ने वंशिका के गाल में हल्का-सा चिटकी काटते हुए पूछा।

पाप और पुण्य

‘पाप और पुण्य क्या है?’

‘तुम्हारा तबियत तो ठीक है न वंशिका?’ अंशुमन ने उसके ललाट पर हाथ रख कर पूछा|

जुदाई

तुमने मुझे समझ क्या रखा है, मिस्टर। मानती हूँ कि तुम्हारे जैसे मेरे भी जीवन में बहुत लोग आयें है और तुम्हारे जाने के बाद भी आयेंगे। लेकिन सच्चा प्यार तो तुमसे ही था और सबने तो मुझे कभी प्यार से निहारा तक नहीं। दुबारा ऐसा बोले तो मुँह तोड़ दूँगी।

उपसंहार

अंशुमन ने उस घटना के करीब 3 साल बाद शादी कर ली। परिवार के लाख मना करने के बाद भी उसने एक विधवा से शादी की, जो उससे लगभग 5 साल बड़ी थी।

सफ़र, प्यार और एक अधूरी दास्ताँ (Part 8)

थोड़े देर तक वंशिका एक दम शांत हो गई थी। मानो वो शून्य में कहीं लुप्त हो गयी हो। अंशुमन को समझ नहीं आ रहा था कि वंशिका से उसने इतना मजाक किया। पर इस छोटे-से मजाक से वो इतनी क्यों विचलित हो उठी?

एक दिन बिना इंटरनेट के

रात को लगभग 6 से 7 घंटे अपनी मासूका से बात करके और अंत के 30-45 मिनिट वीडियो कॉल पर एक-दूसरे को तथा एक-दूसरे के अंतर्वस्त्रों को देखने के बाद मेरी नज़र मेरे सामने दीवार में टंगी काटे वाली घड़ी पर पड़ी।

सफ़र, प्यार और एक अधूरी दास्ताँ (Part 7)

अंशुमन वंशिका की ओर बार-बार देख रहा था। पर वंशिका इतने गुस्से में थी कि वो खिड़की की तरफ एकटक देखे जा रही थी।