बुढ़ापा
“मेरी गुलाबजामुन आज इतनी गुस्से में क्यों है?” अंशुमन ने वंशिका के गाल में हल्का-सा चिटकी काटते हुए पूछा।
SAGAR GUPTA -STAR Author of StoryBerrys
Sagar Gupta calls himself a simple “Gaon ka Chhora”. An aspirant young writer, his debut fiction “Chakravyuh Rishton Ka” is available on Kindle (ASIN : B081CYSYNQ) . Sagar runs two motivational blogs Adamantsagar.blogspot.com and Adamantsagar1.blogspot.com
“मेरी गुलाबजामुन आज इतनी गुस्से में क्यों है?” अंशुमन ने वंशिका के गाल में हल्का-सा चिटकी काटते हुए पूछा।
‘पाप और पुण्य क्या है?’
‘तुम्हारा तबियत तो ठीक है न वंशिका?’ अंशुमन ने उसके ललाट पर हाथ रख कर पूछा|
Hindi / Romance / Short Story
by Sagar Gupta
by Sagar Gupta · Published October 1, 2022 · Last modified February 6, 2023
तुमने मुझे समझ क्या रखा है, मिस्टर। मानती हूँ कि तुम्हारे जैसे मेरे भी जीवन में बहुत लोग आयें है और तुम्हारे जाने के बाद भी आयेंगे। लेकिन सच्चा प्यार तो तुमसे ही था और सबने तो मुझे कभी प्यार से निहारा तक नहीं। दुबारा ऐसा बोले तो मुँह तोड़ दूँगी।
अंशुमन ने उस घटना के करीब 3 साल बाद शादी कर ली। परिवार के लाख मना करने के बाद भी उसने एक विधवा से शादी की, जो उससे लगभग 5 साल बड़ी थी।
इतना पढ़ कर अंशुमन के हाथ से कागज का टुकड़ा गिर पड़ा और उस टुकड़े के साथ अंशुमन भी जमीं पर गिर चुका था।
थोड़े देर तक वंशिका एक दम शांत हो गई थी। मानो वो शून्य में कहीं लुप्त हो गयी हो। अंशुमन को समझ नहीं आ रहा था कि वंशिका से उसने इतना मजाक किया। पर इस छोटे-से मजाक से वो इतनी क्यों विचलित हो उठी?
Hindi / Romance / Short Story
by Sagar Gupta
by Sagar Gupta · Published February 9, 2022 · Last modified February 10, 2022
रात को लगभग 6 से 7 घंटे अपनी मासूका से बात करके और अंत के 30-45 मिनिट वीडियो कॉल पर एक-दूसरे को तथा एक-दूसरे के अंतर्वस्त्रों को देखने के बाद मेरी नज़र मेरे सामने दीवार में टंगी काटे वाली घड़ी पर पड़ी।
अंशुमन वंशिका की ओर बार-बार देख रहा था। पर वंशिका इतने गुस्से में थी कि वो खिड़की की तरफ एकटक देखे जा रही थी।
Hindi / Romance / Short Story
by Sagar Gupta
by Sagar Gupta · Published December 5, 2021 · Last modified December 19, 2022
किरणें अब उसके चेहरे से छन कर मेरी ओर आने लगी थी। मैंने उसकी ओर देखा।
अंशुमन को वंशिका की कही गई बात अब भी चुभ रही थी। वह अब भी तय नहीं कर पा रहा था कि क्या गलती सच में उसकी ही थी।