आज राहुल घर आया है
पर वह बंद आंखे कर,
शांत है, अपने में सिमटा,
कितना सुंदर वह लग रहा वह
तिरंगे में लिपटा,
Dinesh is a “word painter”, painting life through his words. His poems reflect on the sensitivity, feelings of the day to day life of a commoner. He writes mainly in Hindi, Marathi and English.
पर वह बंद आंखे कर,
शांत है, अपने में सिमटा,
कितना सुंदर वह लग रहा वह
तिरंगे में लिपटा,
हां, हम राहुल के पापा है,
वह भारतीय सेना का
एक सिपाही है,
संघर्षों का दौर जब भी आता है,
यह मानव डर जाता है,
प्रश्न कई रहते है,
उत्तर कोई नही समझ आता है।
रफ़्तार पकड़ती जिंदगी
दो पहिये पर दौड़ती
दो लोगों की जिंदगी।
सुबह दे दो
अंधकार ले लो।
सुनहरी किरणों के
नई आभा में
हर कण भिगो लो।
खुद पर हंसने वाले,
खुद का चुटकला
बनाने वाले,
हंसते जाते हैं,
कमरे में उलझी तारों को देख
लगा, क्या जिंदगी भी यूँ उलझी
हुई है।
कल की कहानी फिर दुहराती है,
बदलते रहते है किरदार,
कहानी वही रहती है।