Author:

Ashok Kumar Gupta

जिंदगी

सैकड़ों दर्द छिपे हैं, हर एक के सीने में,
मगर कहे किससे, हर कोई तो आंसू पीता है |

मजबूरी

सजा किस-किस को दोगे तुम सभी डूबे गुनाहों में ।
कि सारा देश ही बीमार है, हम इसलिए चुप हैं ।

हसरत

कवि अशोक कुमार गुप्ता द्वारा रचित – कभी सारी दुनिया का साथ है बहुत भाता,
कभी खुद को भी भुलाने को जी चाहता है।