Author:

ARATI SAMANT

Loves to read/write/listen poems, Shayari, articles. My family and events around the world motivates me to write. Writing is my passion and it gives life to my thoughts which are unexpressed. Still a lot to learn and express !

मेरी माँ

कैसे कहूं शुक्रिया आपका मैं हे भगवान
मां के रूप में मुझे मिला है अनमोल वरदान ।

रंग

क्या खुशी क्या गम, क्या ज्यादा क्या कम
जो अपना है वही पास है वही सुख दुख में संग है

बलिदान

भारत माता की जय और वंदे मातरम का नारा जब पूरे जोश से लगाओगे ।
वादा करो मुझे उस पल तुम भूल नही जाओगे ,

मेरे बचपन

आज सोचूँ तो लगता है, कि जैसे सपना ही था,
पर कैसे कर दूं पराया, हाय! वो बचपन अपना ही था ।

बदलती दुनिया

दिल ए नादाँ किसे ढूँढ रहा है इस भीड़ में, वो शिद्दत वाली मोहब्बत अब नहीं मिलती।
पास बुलाकर बस गम ही दे जाएगी ये दुनिया, किसी के साथ बैठकर अब दिल को राहत नहीं मिलती।