Author:

Aparna Ghosh

धूप

आंखों में उसके भी नींद लिपटी होगी,
पत्तों के कंबल से झांकती वो धूप,

कुछ जोख़िम लें

जीवन का गणित खूब खेल लिया,

हर क्षण का दिया अचूक हिसाब,

चलो उठा लें जोखिम का झोला,

अब लें जिंदगी के मज़े जनाब,

रंग

पीला हरा लाल गुलाबी, रंगों की बौछार
रंगों की महफ़िल सजी, आया होली का त्योहार

नारी 

मैं जानती हूं कि मैं कौन हूं, मैं आदिपराशक्ति हूं,
मैं आरंभ का आरंभ हूं, अंत का अंत हूं,

इश्क़

इश्क़ किस चिड़िया का नाम है?
वो जो रातों के सपने उड़ाती है,
या वो जो सुबह जगाती है।