Author:
Aparna Ghosh
कुछ जोख़िम लें
जीवन का गणित खूब खेल लिया,
हर क्षण का दिया अचूक हिसाब,
चलो उठा लें जोखिम का झोला,
अब लें जिंदगी के मज़े जनाब,
आंखों में उसके भी नींद लिपटी होगी,
पत्तों के कंबल से झांकती वो धूप,
एक नया साल ,नए सफ़र को बेकरार,
पुराना साल खड़ा, एक पल में दरकिनार,
भटक रहें हैं सब जिसकी तलाश में,
ज़िक्र जिसका हो रहा सिर्फ़ “काश” में,
बैठी थी अकेले,
और हुई मुझसे मेरी मुलाक़ात
प्रकृति का नियम है, हर अंत का आरंभ,
कुछ भी नहीं खोता है, सब कुछ है प्रारंभ।
जीवन का गणित खूब खेल लिया,
हर क्षण का दिया अचूक हिसाब,
चलो उठा लें जोखिम का झोला,
अब लें जिंदगी के मज़े जनाब,
इस ख़ामोशी में शोर क्यों है?
तेरे मेरे बीच चुप्पी का चोर क्यों है?
पीला हरा लाल गुलाबी, रंगों की बौछार
रंगों की महफ़िल सजी, आया होली का त्योहार
मैं जानती हूं कि मैं कौन हूं, मैं आदिपराशक्ति हूं,
मैं आरंभ का आरंभ हूं, अंत का अंत हूं,
Eternal Love / Hindi / Poetry
by Aparna Ghosh
by Aparna Ghosh · Published February 7, 2023 · Last modified February 9, 2023
इश्क़ किस चिड़िया का नाम है?
वो जो रातों के सपने उड़ाती है,
या वो जो सुबह जगाती है।