ख़ूब हँसो
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ख़ूब हँसो
हँसो मुस्कुराओ, जी खोलकर खिलखिलों,
इतना हँसो, की बैठे-बैठे ही गिर जाओ,
हर वक़्त ही जगमगाओ,
दु:ख को देख हँसो, उसे भी अपना दोस्त बनाओ,
जो ना मिले कोई वजह, तुम फिर भी खिलखिलाओ,
इतना हँसो कि दूसरे भी तुम्हारे साथ हँसे।
ख़ूब हँसो , हँस -हँसकर तुम पागल हो जाओं,
लाल पहनो, पीला पहनो, हर रंग को अपनाओ,
जो छोड़ जाए कोई साथ, तुम फिर भी मस्ती में समाओ,
इतना हँसो , इतना हँसो की गुलाबी हो जाओ,
कौन देख रहा, क्या सोच रहा, खुदको ना उलझाऊँ I
हँसते रहो तुम, हँस -हँसकर दांत दिखाओ,
जो तुम पर हँसे , तुम उसके साथ भी हँस जाओ,
हँसकर तुम अंदर से खिल जाओ,
जहाँ जाओं तुम खुशियों का खुशबू फैलाओ,
हर परिस्थिती पर तुम अंदर से शांत हो जाओ I
ख़ूब हँसो तुम, हँस -हँसकर लोट-पोट हो जाओ,
बस इतना समझना कि, हँसकर तुम सहज हो जाना,
जो मिल गया है, उसका शुक्र मनाना,
जो ना मिला है, उसका तुम जश्न मनाना,
अंत में जब धरती में समाओ,
वो भी तुम्हे पाकर ख़ुशी से खुदको फूले ना समाए,
तुम्हें देख ये दुनिया भी मुस्कुराए।
रचयिता
स्वेता गुप्ता
Jiyo, Khush Raho, Muskurao .. Kya pata Kal Ho Na Ho..
Thank you
Very nice.
Keep smiling