ख्वाइशें
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ख्वाइशें
ख्वाइशें…शायद ही कोई ऐसा इंसान है जिसकी हर ख्वाइशें पूरी हो जाती हो. “ख्वाइशें” शब्द सुनकर ही मन एक अलग ही दुनिया में चला जाता है .. किसी की ख्वाइश होती है- बहुत पैसा कमाना , किसी की ख्वाइश होती है बड़े-बड़े घर खरीदना, गाडी खरीदना इत्यादि. पर ये भी सच है की ख्वाइश का कोई अंत नहीं है… एक ख्वाइश पूरी नहीं होती की दूसरी ख्वाइश मन में नए घर बनाने लगती है… पर हँ|, ख्वाइशो का होना भी मनुष्य के सही रूप में जीवित होने का पर्यायवाची है…. जिसमे ख्वाइश है वो सही रूप से अपनी जिंदगी जी रहा है …. जिसमे ख्वाइश है वो उन ख्वाइशो को पूरा करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहता है लेकिन जिसके मन में कुछ ख्वाइश ही नहीं है वो इंसान बस जिंदगी को जिए जा रहा है… जिंदगी का आनंद नहीं ले रहा है… और अगर हम जिंदगी का आनंद लिए बिना दिन गुजारेंगे तब एक दिन जिंदगी बोझ लगने लगेगी. इसलिए ज़िन्दगी को सही मायने में जीने के लिए मन में ख्वाइशो का होना ज़रूरी है ऐसा नहीं है की हर ख्वाइश पूरी ही हो जाये, लेकिन जब कोई एक ख्वाइश पूरी नहीं होती है तो इंसान दूसरी ख्वाइश पूरी करने के लिए अपनी लगान दुगना कर देता है
“कुछ ख्वाइशें अधूरी रहे तो अच्छा है..
जिंदगी जीने की जुस्तजू बनी रहती है”
नम्रता गुप्ता