तीज
तीज
हाथों में
मेंहदी लगा के सखी
नाम साजन का उसमें
सजा के सखी।
लाल चूडियाँ
खनक जाएगीं हाथों में
साथ कंगना के
जोडे़ लगा के सखी।
माँग सिंदूर भर के
माथे पे बिंदी
सजा के सखी।
पहन के जोडा़
नया नवेला
थाल पूजा का
सजा के सखी।
साथ साजन को अपने
लिवा के सखी।
द्वार शिवालय के मुझको
है जाना सखी।
गौरा, गणपति,
माँ पार्वती
संग महादेव
की पूजा है करना सखी ।
साथ साथी का हो उम्र भर
आखिरी पल भी
मांग में सिंदूर सजा रहे।
एक सुहागन का
अरमान होता यही
संग वैसे हमारा बना रहे
संग शिव के जैसे है पार्वती।
मीनू यतिन