अधूरे सपने
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अधूरे सपने
“पल्लवी, पल्लवी जल्दी करो यार! देर हो रही है हमे” आकाश की बाते पल्लवी के दिलो-दिमाग में तरंगे पैदा कर रही थी
पल्लवी और आकाश दोनों अच्छे मित्र थे या यु कहिये मित्र से कही ज्यादा थे. आज भी बारिश की बूंदे बोछार कर रही थी ठीक उसी तरह जिस तरह तीन साल पहले कर रही थी. पल्लवी और आकाश काफी उत्साहित थे क्यूंकि आज उनकी परीक्षा का अंतिम पत्र था. उन दोनों ने परीक्षा ख़तम होने के बाद मूवी देखने का प्लान बनाया था. आकाश पल्लवी को पिक् करने के लिए उसके घर आया था वो बाहर से ही आवाज़ दे रहा था की पल्लवी जल्दी करो हमे देर हो रही है. पल्लवी अपनी मम्मी को जल्दबाजी मे बाय – बाय बोल कर दौड़ पड़ी. बारिश भी तेज हो रही थी आकाश बोला- आज तो बाइक तुम्हारे घर पे ही छोडनी पड़ेगी, बाइक से जायेंगे तो पुरे गीले हो जायेंगे. फिर दोनों ऑटो पकड़ कॉलेज के लिए निकल पड़े. दोनों परीक्षा ख़तम होने के बाद मूवी देखने चले गए. मूवी ख़तम हो गयी, दोनों घर के लिए निकल पड़े बारिश भी काफी तेज हो रही थी. तेज बारिश के कारण ऑटो या टैक्सी कुछ भी नहीं मिल पा रही थी.
हड़बड़ी में ही सही पर घर से निकलते वक्त पल्लवी ने छाता रख लिया था दोनों चाते के निचे पैदल घर के लिए निकल पड़े बारिश के साथ – साथ हवा भी तेज बह रही थी छतरी भी उड़ने लगी और दोनों भीगने लगे बारिश की बूंदे पल्लवी की चेहरे पर मोतियो की तरह लग रही थी एक पल के लिए आकाश उससे निहारता ही रह गया. “ पल्लवी, तुम बहुत सुंदर हो “ दबी आवाज़ में आकाश ने बुद-बुदाया. “क्या, क्या कहा तुमने ? फिरसे कहो “ पल्लवी की चहकती हुई आखे सवाल कर रही थी तभी अचानक आकाश के मोबाइल की घंटी बजती है, “हेल्लो! हा माँ, बस रास्ते में है बारिश के वजह से घर पहुचने में देर हो जाएगी,” आकाश ने बोला | उधर से माँ चहकते हुए कह रही थी की बेटा, आते वक्त मिठाई लेते आना शर्मा जी और उनकी परिवार घर आये है अपनी बेटी के साथ. हमलोगों को तो ज्योति पसंद है और हमलोगों ने ज्योति के साथ तुम्हारी शादी तै कर दी है. बस बेटा , तू जल्द से घर आजा , बाकी बाते बाद में करेंगे .
माँ की बातो को सुनकर आकश के कदमो के तले ज़मीन ही खिसक गयी. आकाश स्पीकर पे रख कर बात कर रहा था इसलिए पल्लवी भी सारी बाते सुन रही थी. पल्लवी के आखो से आंसू की झाडिया बह रही थी आकाश ने उसे चुप कराते हुए कहा – “पल्लवी, चुप हो जाओ मे माँ से बात करूँगा वो जरुर मेरी बाते सुनेगी. गलती मेरी है की अब तक मैंने अपने घरवालो से मेरे और तुम्हारे रिश्ते के बारे में नहीं बताया.” पल्लवी बिना कुछ कहे रोती ही रही बारिश भी कम हो रही थी ऐसा लग रहा था की जैसे बारिश की बूंदे पल्लवी के आंसू के रूप में परिवार्तित हो गयी है तभी उधर से एक ऑटो गुजर रहा था पल्लवी ऑटो रुकवा कर उसमे बैठ जाती है और घर चली जाती है. आकाश उसे बस देखता ही रह जाता है. घर पहुच कर अपने परिवार को अपनी और पल्लवी के रिश्ते के बारे में बताता है, पर घरवाले उसकी एक नहीं सुनते है. कुछ ही दिनों बाद ज्योति और आकाश की शादी हो जाती है.
पल्लवी अकेली रह जाती है वो आज भी आकाश के साथ बिताये पालो को याद करती है और उन पलो के साथ ही पूरी ज़िन्दगी बिताना चाहती है, उसके सारे सपने अधूरे रह जाते है.
नम्रता गुप्ता