पीला हरा लाल गुलाबी, रंगों की बौछार
रंगों की महफ़िल सजी, आया होली का त्योहार
नीला गहन रात सा, रंग दूँ धरा को आज
धरती सा हरा हाथ में, कर दूँ नभ का साज
कौन रंग सब में बसे, सब हो एकाकार
रंगों की महफ़िल सजी, आया होली का त्योहार
सुर्ख लाल से रंग दूँ, मैं पिया का गाल
केसरी चरणों में डालू, हरा जामुनी भाल
कौन रंग हो प्रेम क्या, जो दूँ उन्हें उपहार
रंगों की महफ़िल सजी, आया होली का त्योहार
कुछ रंग ऐसे भी हों, जो रंगे श्वेत आंचल
विरह पीड़ा भुलाकर, दे नवजीवन उज्ज्वल
कौन रंग हो जीवन का, जो लाए फिर बहार
रंगों की महफ़िल सजी, आया होली का त्योहार
ऐसा रंग बना रंगरेज, जो रंग दे वह संसार
देश सेवा में लाल जिनके, मर मिटने को तैयार
कौन रंग हो बलीदान का, जो करे सपने साकार
रंगों की महफ़िल सजी, आया होली का त्योहार
रंग लगाना ऐसे की, न हो तेरा मेरा भेद
तेरा हरा मेरा पीला, मिलें बिना बिभेद
कौन रंग हो एकता का, जो बढ़ाए आपसी प्यार
रंगों की महफ़िल सजी, आया होली का त्योहार।
स्वरचित एवं मौलिक
© अपर्णा
मुंबई
Photo by Mayur Sable: https://www.pexels.com/photo/people-celebrating-the-holi-festival-13426981/