दूसरी पारी
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दूसरी पारी
ज़िन्दगी की इक नयी पारी,
मन शांत,पर वही जोश,
मेरी अधूरी ख्वाहिशें,
मेरे सारे वो प्यारे सपनें,
मेरी अपूर्ण लालसाएँ ।
अकेले कमरे में बैठा,
भविष्य की ओर नज़र,
क्या मिलेगी मेरी मंज़र ?
दिल में उठी एक हूक,
हौसला अभी भी मज़बूत।
नये पंखों के संग,
दिल में वही उमंग।
चल जीत लें ये जहाँ,
पूर्ण होगी तेरी उड़ान।
नयी उम्मीद के साथ,
पूर्ण होगें तेरे ये ख़्वाब,
सपनें औ लालसाएँ ।
रचित प्रभात कुमार गुप्ता